जीवन को एक नयी राह पर ले जाने वाली एक कहानी - कर्म बड़ा या भाग्य।
Karm or Bhagya |
कर्म और भाग्य में बड़ा कोन
दोस्तो दुनिया में किसी भी इंसान की सोच कभी एक जैसी नहीं हो सकती। ऐसे में एक सवाल सदियों से लोगो को भ्रमित करता आ रहा है। और वह सवाल यह है की कर्म बड़ा है या भाग्य किसी का मानना है की कर्म बड़ा है तो कोई दावा करता है की भाग्य से बढ़ कर कुछ नही। ऐसे में एक बहोत बड़ी confusion हमारे सामने खड़ी हो जाती है की आखिर सच्चाई क्या है। तो आइये एक कहानी के माध्यम से जानते है की कर्म बड़ा है या भाग्य।आईये जानते है एक कहानी के माध्यम से
एक जंगल के दोनों और दो अलग अलग राजाओ का राज्य था। इन दोनों राज्य के बिच वाले जंगल में एक संत रहा करते थे। ये संत दोनों राजाओ के गुरु थे। इस लिए दोनों राजा इन संत का बड़ा आदर करते थे। इस जंगल के बिच में से एक नदी बहती थी और इस नदी के पानी का इस्तेमाल दोनों राज्य में होता था। यानि की यह नदी उन दोनों राज्य का एक मात्रा जल स्त्रोत थी। इस नदी को लेकर दोनों राज्यों में अक्सर विवाद होते रहते थे और स्थिति हमेसा तनाव पूर्ण रहती थी। लेकिन एक समय ऐसा आया जब इस नदी को लेकर विवाद इतना बढ़ गया की बात युद्ध (war) तक पहुंच गयीदोनों राजाओ ने सोचा की युद्ध सुरु होने से पहले गुरु का आशीर्वाद ले लेते है। दोनों राजा बार बरी से संत के आशीर्वाद लेने पहोचे। अब जब पहला राजा संत के पास आशीर्वाद लेने पहोचा तो संत बोले बेटे तेरे भाग्य में जित के कोई आसार नहीं दिख रहे है। आगे फिर ईश्वर की मर्जी। यह बात सुन कर पहला राजा बहोत ही चिंतित हो गया। उसने सोचा की अगर नशीब में जित लिखी ही नहीं है तो फिर हार final होने वाली है उसमे कोई दो राही नहीं है। लेकिन जब वह अपने राज्य में वापिस पहुंचा तो उसने सोचा की अगर हारना ही है तो हार जायेंगे पर ऐसे ही नहीं हारेंगे अपना पूरा पराक्रम उस राजा को दिखाएंगे
फिर राजा ने अपनी सेना में यह शंदेश पहोचाया की संत के अनुसार हमारे भाग्य में जित नहीं लिखी है। लेकिन भले ही हमारी हार हो पर हम कायरो की तरह नहीं हारेंगे हमें इस प्रकार से लड़ना है की हमारी सूरवीरता के किस्से जगमे प्रख्यात हो। बाद में भले ही हम हार जाये
फिर दूसरा राजा संत के पास पहुंचा तो संत ने बताया की बेटे इस समय भाग्य तुम्हारे पक्ष में दिखाई दे रहा है इस लिए संभवतः जीत तुम्हारी ही होने वाली है आगे फिर जैसी ईश्वर की मर्जी। यह बात सुनकर दूसरा राजा इतना खुश हुआ मानो जैसे उसकी जित अभी हो गयी हो। उसने अपनी सेना में यह सन्देश भिजवाया की संत ने यह कहा है की भाग्य हमारे पक्ष में है और जीत हमारी होने वाली है यह बात सुन कर सेना भी खुश हो गई।
दूसरे दिन जब युद्ध का प्रारंभ हुआ तो एक सेना यह सोच कर लड़ रही थी की भले ही हमारी हार हो पर हमें कायरो की तरह नहीं लड़ना है। हमें पुरे जोश के साथ लडना है। और दूसरी और दूसरी सेना यह सोचकर लड़ रही थी की हमारी जीत तय है तो भय किस बात का ऐसे में लड़ते लड़ते जिस राजा के भाग्य में जीत लिखी थी वह राजा भीं किसी चिंन्ता के लड़ रहा था। वह इतना निश्चिंत हो गया की उसे अपने घोड़े की नाल का भी पता नहीं रहा की वह निकल रही है। और उसकी इसी निश्चिंतता में उसके घोड़े की नाल निकल गयी और उसका घोडा लड़खड़ा कर गिर गया। और ईसि कारन वह दुश्मनो के हाथ में आगया और उसकी पराजय हो गई।
इसी समय युद्ध की समाप्ति पर संत भी वहा आ पहुंचे और संत को देखते ही दोनों राजा एक साथ question कर बैठे की गुरुवर आखिर भाग्य का लिखा हुआ कैसे बदल गया। संत ने धीरज से मुस्कुराते हुए जवाब दिया और बोले हे राजन भाग्य का लिखा हुआ नहीं बदला पर आप बदल गए। फिर संत ने जीतने वाले राजा की और इशारा करते हुए कहा की अब आप स्वयं को ही देख लीजिये राजन आपको पता था की आपकी हार होने की संभावना ज्यादा है फिर भी आपने अपना पूरा पराक्रम दिखाया और युद्ध अभ्यास केलिए दिन रात एक कर दिए। और सेना का नेतृत्व भी खुदने किया जबकि पहले आप सेनापति के बल पर ही युद्ध लड़ने का फैसला किया था।
वही दूसरे हारने वाले राज की और इशारा करते हुए बोले की हे राजन आपने तो युद्ध शुरू होने से पहले ही उसका उत्सव मनाना शुरू कर दिया था। आपन इतने Tension Free हो गए थे की आपने अपने घोड़े की नाल का भी ख्याल नहीं रखा। और युद्ध अभ्यास तो बहोत दूर की बात है और इसी कारणों की वजह से आपकी हार हो गयी।
क्या सीखे आप
दोस्तों भाग्य और कर्म का सम्बन्ध लोहे और चुम्बक(magnet) जैसा है जहा कर्म रूपी चुम्बक मौजूद होता है वही लोहे रूपी भाग्य खींचा चला आता है। और यह सभी आपने किये हुए कर्मो का ही फल है। अगर आप अनुकूल कर्म करते है तो भाग्य अपने आप ही आपकी और चले आता है। इस लिए दोस्तों आप कभी भी भाग्य को मत कोसिये आप बस अच्छे कर्म कीजिये भाग्य जरूर आपके पक्ष में होगा।
जीवन को एक नयी राह पर ले जाने वाली एक कहानी - कर्म बड़ा या भाग्य।
Reviewed by Mahi Chauhan
on
March 22, 2019
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