इस महान मंदिर के एक छोटे से गढ्ढे में बिराजमान है त्रिदेव जानिए इसकी पूरी महिमा | Trimbakeshwar mandir Nashik

Trimbakeshwar mandir nashik
Trimbakeshwar mandir

त्रम्ब्केश्वर मंदिर की कहानी 

आज हम बात करेंगे एक ऐसे मंदिर के बारेमे जहा पर एक छोटे से गढे में रहते है त्रिदेव। महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित त्रयम्ब्केश्वर मंदिर जो की नासिक स्टेशन से लगभग 34 किलोमीटर दूर है। और यह मंदिर गोमती नदी के किनारे पर बसा हुआ है। बेहद ही कलात्मक नकसी से सजा हुआ यह मंदिर देखने में भी बहोत सुन्दर है। इस मंदिर में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनो विराजमान है और यह इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है। इस मंदिर में एक छोटा सा गढ्ढा है और इस गढ्ढे में छोटे छोटे तीन लिंग स्थापित है जिसे त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतिक माना जाता है। 

यह मंदिर काले पत्थरो से बना हुआ है और यह मंदिर काले पत्थरो में बहोत ही सुन्दर नजर आता है। महाशिवरात्रि और सावन जैसे पर्वो पर इस मंदिर की पूरी रौनक बदल जाती है।  सोमवार के दिन भगवान त्रयंबकेश्वर की पालखी निकली जाती है। और वह पालकी कुशावर्त से वापिस यहाँ पर लाई जाती है। यहाँ पर दर्शन करने आने वाले यात्री सबसे पहले कुशावर्त कुंड में नहाते है और फिर मंदिर में प्रवेश करते है। 

यहाँ पर गौ माता को हरा चारा खिलाया जाता है ओर इसे बेहद शुभ माना जाता है। इस स्थान पर अहल्या और गोदावरी नदी का संगम होता है। बहोत सारे दम्पति यहाँ पर संतान प्राप्ति की मनोकामना लेकर आते है इस संगम स्थल पर। 


पंचवटी 

पंचवटी नासिक के पास स्थित है जो की भारत की दूसरी सबसे बड़ी नदी गोदावरी के तट पर बसा हुआ है। यह स्थल रामायण काल से अपना ताल्लुक रखता है ऐसा माना जाता है की जब भगवान श्री राम ने  14 साल का वनवास लिया था तब राम, लक्ष्मण और माता सीता यहा पर कुटिया बना कर रहते थे। यहाँ से रावण से माता सीता का हरण किया था और ईसी जगह पर लक्ष्मण ने सूर्पणखा का नाक काटा था। पंचवटी में पांच बरगद के पेड़ पास पास में खड़े है और इसी  वजह से इस स्थल का नाम पंचवटी रखा गया था। यहाँ पर गोदावरी नदी के किनारे कुम्भ का मेला 12 साल में एकबार लगता है। 

भंडारदरा 

नासिक से 70 किलोमीटर दूर और सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है भंडारदरा। यह स्थल खूबसूरत झरनो, घने जंगल, ज़िले और प्रकृति के सुन्दर नजारो से घिरा हुआ एक हिल स्टेशन है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से 10 वा ज्योतिर्लिंग यहाँ पर स्थित है। इस मंदिर को त्रयम्केश्वर मंदिर भी कहते है। इस स्थल के नजदीक में एक पर्वत है जिसका नाम ब्रह्मगिरि पर्वत है और इसी पर्वत से गोदावरी नदी निकलती है।  जितना महत्त्व गंगा नदी का माना जाता है उतना ही महत्व इस दक्षिण में प्रवाहित होने वाली नदी गोदावरी का भी है 

उतर भारत में बहने वाली गंगा नदी को जिस प्रकार से भागीरथी कहा जाता है ठीक उसी प्रकार से दक्षिण भारत की नदी गोदावरी को गौतमी गंगा कह कर पुकारा जाता है और इसे माता का स्थान दिया जाता है। भागीरथी यानि की गंगा राजा भगीरथ की तपस्या का परिणाम है उसी प्रकार से गोदावरी महर्षि गौतम की तपस्या का फल है 

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इस महान मंदिर के एक छोटे से गढ्ढे में बिराजमान है त्रिदेव जानिए इसकी पूरी महिमा | Trimbakeshwar mandir Nashik इस महान मंदिर के एक छोटे से गढ्ढे में बिराजमान है त्रिदेव जानिए इसकी पूरी महिमा | Trimbakeshwar mandir Nashik Reviewed by Mahi Chauhan on April 04, 2019 Rating: 5

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