यह कहानी आपके जीवन के विचारो को बदल कर रख देगी 'गरुड़ और उसके दो बच्चे'
गरुड़ के दो बच्चो की प्रेरक कहानी
आज की यह कहानी बहोत ही खास होने वाली है। यह कहानी में इस उम्मीद से लिख रहा हूँ की यह आपके जीवन में कुछ न कुछ बदलाव जरूर लाएगी। खास कर के जो लोग आलस के गुलाम बन जाते है उनके लिए यह कहानी बहोत ही प्रेरक साबित होगी ऐसी मुझे उम्मीद है। दोस्तों हम कुछ काम करने की ठान तो लेते है लेकिन जब शुरुआत करनी होती है तब दिल और दिमाग के बीचमे एक घमासान युद्ध सुरु हो जाता है। की ये काम आज शुरू करू या फिर कल। दिल बार बार ये कहता है की जो काम करने की हमने ठान ली है तो क्योंन इसे आज ही शुरू किया जाए। लेकिन दिमाग में यह ख्याल तभी प्रवेश कर लेता है की अभी थोड़ा आराम कर लेता हु आगे काफी टाइम पड़ा है आराम से शुरुआत करेंगे।Eagle |
लेकिन बड़े लोगो ने कहा है की 'दिल और दिमाग की लड़ाई में दिल की सुनो' आजकी इस कहानी में हम यही जानेंगे की हमें क्यों जल्दी शुरुआत करनी चाहिए।
दोस्तों एक गरुड़ के दो बच्चे थे गरूड़ने अपने दोनों नन्हे बच्चो को अपनी पीठ पर बिठा कर एक ऐसी सुरक्षित जगह पर छोड़ दिया जहा पर वह आराम से बिना किसी भय के चुग सके। और हुआ भी ऐसा ही दोनों बच्चे पुरे दिन वहा आराम से चुगते रहे। और साम होते ही गरूड अपने दोनों बच्चो को पीठ पर बैठा कर घर ले आया। ये प्रक्रिया रोज ऐसे ही चलती रही। गरुड़ अपनी पीठ पर दोनों बच्चो को बैठा के वहा छोड़ आता और साम होते ही वापिस अपने घोसले में ले आता।
इस वजह से गरुड़ के दोनो बच्चो ने सोचा की पिताजी हमें हर रोज अपनी पीठ पर बैठा कर यहाँ छोड़ने और लेने आते है तो हमें उड़ने की क्या जरुरत है। लेकिन गरुड़ को इस बात का अंदाजा हो गया की इन बच्चो को में लेने और छोड़ने आता हु इसी वजह से ये आलसी बन गए है और उड़ना भी नहीं सीखा।
लेकिन एक दिन गरुड़ ने अपने दोनों बच्चो को अपनी पीठ पर बिठाया और ऊँची उड़ान भरी और आसमान में जाकर उसने अपने उस दोनों बच्चो को वहा से जान बुज कर निचे फेक दिया। अब मजबूरन उन बच्चो को पंखे फड़फड़ानी पड़ी और काफी कोसिस के बाद वह आपनी जान बचा पाए।
जब बच्चे घर पर आये तभी उन्होंने अपनी माँ से कहा की माँ आज अगर हमने अपनी पंखे नहीं फड़फड़ाई होती तो पिताजी की वजह से हम मर जाते। तभी उनकी मा ने कहा की बच्चो माँ बाप कभी अपने बच्चो को मार नहीं सकते। लेकिन आज जो तुम्हारे पिताजी ने जो किया है वह तुम्हारे लिए बहोत ही जरुरी था। अगर आज तुम्हारे पिताजी ने तुम्हे वहा से गिराया न होता तो तुम सायद कभी भी उड़ना नहीं सिख पाते। और अपनी आलस में ही पड़े रहते। इस लिए तुम्हरे पिताजी को कोसने की वजाये उनका तुम्हे एहसान मानना चाहिए।
फिर मा ने अपने बच्चो को समजाते हुए कहा की देखो बच्चो हमारी पहचान लोग हमारी ऊँची उड़ान की वजह से करते है। ऊँची उड़ान ही हमारी असली पहचान है। तभी दोनों बच्चे समज गए और उन्होंने अपनी माँ की बात मान ली ओर अपनी माँ के कहने के अनुसार उड़ने का अभ्यास करने लगे और वह आखिर कर उड़ना सिख गए
कहानी का सार
दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है की आलस्य को कभी भी अपने जीवन मे घुसने का मौका मत दो क्योकि आगे बढ़ने से और कुछ कर दिखाने से ही हमारी असली पहचान है। और आलस की वजह से ही हम हमरी पहेचान को छुपा लेते है। जीवन में सफल होने केलिए आलस्य का विरोध करो और जी भर के महेनत करो एक न एक दिन सफलता जरूर मिलेगीदोस्तों हमारी कहानी केसी लगी ये हमें कमेंट करके जरूर बताये और अगर अच्छी लगे तो अपने दोस्तों और परिवारजनो के साथ शेयर जरूर करे। आपका दिन मंगलमय हो 'धन्यवाद'
यह कहानी आपके जीवन के विचारो को बदल कर रख देगी 'गरुड़ और उसके दो बच्चे'
Reviewed by Mahi Chauhan
on
April 08, 2019
Rating:
No comments: