अमरनाथ गुफा का इतिहास हिन्दी में। History Of Amarnath Cave In Hindi

"अमरनाथ गुफा" (Amarnath Cave) हिन्दू धर्म का सबसे ज्यादा पवित्र माना जाने वाला स्थान अमरनाथ गुफा हिमालय में बसा हुआ है। भगवान शिव को यह स्थान समर्पित है। यह गुफा यानि (Amarnath Gufa) लगभग 5000 साल पुरानी है ऐसा माना जाता है। और यह गुफा समुद्र तल से 3888 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। इस गुफा की लम्बाई चौड़ाई और ऊंचाई क्रमसः 60, 30, 15 फिट है। यह हिन्दुओ का एक पवित्र धर्म स्थल है। और यहाँ पर बना हुआ बर्फ का शिवलिंग इसे एक बेजोड़ धार्मिक स्थल बनाता है। इस बर्फ से बने हुए शिवलिंग के दर्शन करने हजारो की संख्या में श्रद्धालु यहाँ पर आते है। इस मदिर में जाते वक्त कई सारे पड़ाव आते है जिन्हे तीर्थ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है की इस जगह पर यानी अमरनाथ गुफा में भगवान शिव ने पहेली बार अमरत्व का रहस्य बताया था यानि प्रकट किया था। यह पवित्र स्थल श्रीनगर से तक़रीबन 135 किमी की दुरी पर स्थित है।

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अमरनाथ गुफा(मंदिर) का इतिहास। 'History Of Amarnath Cave' in Hindi given below 


अमर और नाथ दोनों शब्दों की संधि जोड़ने पर "अमरनाथ" शब्द बनता है। जिसमे अमर का अर्थ होता है 'कभी न मरने वाला' और नाथ का अर्थ होता है 'भगवान' अर्थात कभी न मरने वाले भगवान। 
इस स्थान से एक पौराणिक कथा जुडी हुई है जो यह बताती है की देवी पार्वती यह बात जानते थे की भगवान शिव उनसे अमरत्व का रहस्य छुपा रहे है। जब माता पार्वती ने भगवान शिव से अमरत्व का रहस्य बताने को कहा तो भगवान शिव ने माता पार्वती को इसी जगह पर यानि अमरनाथ गुफा में अमरत्व का रहस्य बताया था और तबसे अमरनाथ गुफा का इतिहास शुरू हुआ।

एक और कथा इसी कथा के साथ जुडी हुई है वह यह है की जब भगवान शिव माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बता रहे थे तब वह इस गुफा में बैठे कबूतर के एक जोड़े ने इस रहस्य को सुन लिया था और अभी भी ऐसा माना जाता है की वह कबूतर का जोड़ा आज भी इस गुफा में अमर है जिन्हे लोग अमरनाथ Cave Bird के नाम से भी जानते है। लेकिन दोस्तों आपको बतादे की इस कबूतर के जोड़े के दर्शन केवल और केवल भाग्यसाली दर्शनार्थियों को ही होते है।

माता पार्वती को जब भगवान शिव अमरत्व का रहस्य बताने ले जा रहे थे तब बिच में चलते चलते शिव ने जो अपने आभुषण बिचमें रखे वहा पर अलग अलग स्थल बनाये गए (जैसे की शेष नाग को को जहा उतारा उसे शेषनाग नामक स्थान के रूप में जाना जाता है) जिसके दर्शन अमरनाथ यात्रा के दौरान किये जाते है। दोस्तों बताया जाता है की इस स्थान का पता एक मुश्लिम गडरिये को सोलहवीं सताब्दी में चला था और इसी वजह से आज भी मदिर का जो भी चढ़ावा होता है उसका एक चौथाई भाग उस गडरिये के वंशजो को दिया जाता है।

बर्फ का शिवलिंग Amarnath Shivling 

इस यात्रा का मुख्य महत्त्व और आकर्षण अगर कोई है तो वह है बर्फ से बनने वाला प्राकृतिक शिवलिंग। जी हा इस गुफा में भगवन शिव का 'बर्फ का शिवलिंग' है। जिसे स्वयंभू शिवलिंग भी कहते है। इस गुफा को वर्ष में एक बार ही श्रद्धालुओ केलिए खोला जाता है। क्योकि वर्ष का ज्यादातर समय यह गुफा बर्फ से ढकी रहती है। हर साल भारी मात्रा में लोग इस बर्फ से निर्मित शिवलिंग के दर्शन करने आते है। यह शिवलिंग ठोस बर्फ से बना हुआ होता है। जबकि बाकी आसपास की बर्फ नरम होती है। 

Way and Time For Amarnath Cave In Hindi - अमरनाथ गुफा का यात्रा समय 

अगर आप अमरनाथ यात्रा करने जाते है तो आप वहा पर दो रास्तो के जरिये जा सकते है। जिसमे एक रास्ता सोनमार्ग बालटाल से जाता है वही वही दुसरा रास्ता पहलगाम से हो कर जाता है। लेकिन दोस्तों यहाँ तक तो आप किसि भी सवारी सहायता से पहुंच सकते है लेकिन जो बाकी का आगे का रास्ता है वह आपको पैदल तय करना होता है। यहाँ तक आप सरकारी परिवहन निगम के जरिये या फिर प्राइवेट ट्रांसपोर्ट के जरिये भी पहोच सकते है। या तो अगर आप चाहे तो जम्मू-कश्मीर से टेक्सी करके भी जा सकते है। लेकिन दोस्तों आपको बाता दे की पहलगाम से जाने वाले रस्ते को ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। 

भारत सरकार अधिकतर यात्रियों को पहलगाम से ही दर्शन करने केलिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा उपलब्ध करवाती है। अगर आप बालटाल के रास्ते से जाते है तो आपको बिच में अमरावती नदी भी देखने को मिलेगी जो अमरनाथ ग्लेशियर से जुडी हुई है। अमरनाथ की यात्रा केलिए ज्यादातर यात्री श्रावण मास में ही आते है। भगवान अमरनाथ के पूजन से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत होती है।

इस यात्रा के दौरान पहला पड़ाव चंदनबाड़ी आता है जो की पहलगाम से आठ किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। और यहाँ पर यात्री विश्राम करते है और फिर वहा से पिस्सू केलिए रवाना होते है। अगर यात्री चाहे तो पहलगाम से अपने सामान केलिए कुली भी रख सकता है। 

Other story related to Amarnath cave - अमरनाथ गुफा की अन्य कथाये 

जैसे की हमने आपको पहले बताया की इस गुफा की खोज का श्रेय एक गडरिये को जाता है। अगर इस कथा की विस्तृत बात करे तो एक गडरिया जिसका नाम बूटा मलिक था वह एक दिन अपनी भेड बकरियों को चराते हुए एक ऊंच पहाड़ी पर जा पहुंचा। और वहा पर उसकी मुलाक़ात एक बड़े संत (साधू) से हुई और उस साधू ने गडरिये को कोयलो से भरा हुआ एक थैला दिया और वह थैला लेकर गडरिया अपने घर पहुंचा। घर जाकर उस गडरिये ने जब थैला खोला तो उसकी आखे खुली की खुली रह गई उसने देखा की उस थैले के अंदर कोयले की जगह सोने के सिक्के भरे हुए थे (यानि कोयले सोने के सिक्को में तब्दील हो गए थे) वह गड़रिया जब साधु का धन्यवाद करने केलिए उस जगह पर पहुंचा तो उसने पाया की वहा पर कोई साधु नहीं था। और वहा पर एक गुफ़ा बनी हुई थी जिसमे एक हिम शिवलिंग बना हुआ था। 

बादमें उस गडरिये ने अपने गांव में जा कर यह घटना सभी गांव वालो को बताई और सभी गांव के लोग इस गुफा के दर्शन करने पहुंच गए। और इस कथा के अनुसार तभी से इस यात्रा का यानि की अमरनाथ यात्रा का प्रारम्भ हुआ। और भी कई कथाये अमरनाथ यात्रा केलिए प्रचलित है। 

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Tour and Security of Amarnath Cave - गुफा की सुरक्षा की सुविधा 

 यहाँ पर ज्यादा मात्रा में यात्री आने की वजह से सुरक्षा का ध्यान रखना बहोत जरुरी हो जाता है। जिसकी वजह से हर साल यहाँ पर हजारो की संख्या में पुलिस कर्मी श्रद्धालुओ की सुरक्षा केलिए तैनात रहते है। और जयादा सुरक्षा केलिए सेना के केम्प भी जगह जगह पर लगाए जाते है। दोस्तों बतादे की वहा पर जाते वक्त बिच में जगा जगा पर संस्थाओ के टेंट भी लगे हुए होते है जहा पर यात्रियों को रहने की और खाने की सुविधा दी जाती है। ऐसे कई सारे पंडाल आते है जिसे हम किराए पर भी ले सकते है। यहाँ पर हेलीकॉप्टर की भी सुविधा दी जाती है। 

 हमारी फरज 

 हमारा यह फर्ज है की हम अपने सारे ऐसे स्थानों की रक्षा करे और उन्हें नुकशान न पहुचाये। पिछले कुछ वर्षो से अमरनाथ की यात्रा करने वाले लोगो की संख्या में बढ़ोतरी आयी है। ज्यादा संख्या बढ़ने की वजह से वहा पर गतिविधियों में भी बढ़ोतरी होती है। लोग जब वहा दर्शन केलिए जाते है तो कुछ लोग वहा दिप भी जलाते है और शिवलिंग को भी छूते है। इस लिए हमें ऐसी कुछ बातो का ध्यान रखना चाहिए हम वहा पर ऐसी कोई प्रवृति न करे जिस से वहा कोई नुकशान हो। हमें हमेसा ऐसे स्थानों की सुरक्षा और व्यवस्था को बनाये रखने में सहयोग देना चाहिए। जय अमरनाथ

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अमरनाथ गुफा का इतिहास हिन्दी में। History Of Amarnath Cave In Hindi अमरनाथ गुफा का इतिहास हिन्दी में। History Of Amarnath Cave In Hindi Reviewed by Mahi Chauhan on May 01, 2019 Rating: 5

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